साहित्य पुनरावलोकन Review of Literature

किसी साहित्य पुनरावलोकन किसी शोध का अत्यधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। किसी भी अनुसंधान को सजीव सफन बनाने के लिए आवश्यक है कि उस विषय पर पूर्व में किए गए अनुसंधानों का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाये। किसी भी वैज्ञानिक कार्य के लिए विषय से संबंधित सार्थक साहित्य का पुनरावलोकन करना एक आवष्यक एवं महत्वपूर्ण चरण होता है। यह गतिविधि शोध विषय के संबंध में शोधार्थी के बोझ, समझ, ज्ञान और विभिन्न पक्षों को पहचानने एवं विष्लेषित करने में सहायक होती है।
साहित्य पुनरावलोकन में पुनरावलोकन शब्द दो शब्द से मिल कर बना है, पुनः और अवलोकन। अवलोकन का अर्थ है जांच-पड़ताल करना। साहित्य पुनरावलोकन के अंतर्गत हम अपने शोध विषय से संबंधित पहले से मौजूद किसी साहित्य या शोध पत्रिका का अध्ययन करते है। इसके अंतर्गत हम इस बात का अध्ययन करते है कि हमारे द्वारा चुने गए क्षेत्र में कितना काम हो चुका है एवं किस प्रकार का काम हुआ है, अभी शोध का नया ट्रेड क्या है। किसी भी प्रकार के शोध में साहित्य पुनरावलोकन करने के प्रमुख कारण निम्न प्रकार से कर सकते हैं।
1. ज्ञान की खाई ढूंढने के लिए (For Searching Knowledge gap) :- 
वैसे तो साहित्य पुनरावलोकन करने के कई कारण है लेकिन उन कारणों में सबसे पहला और प्रमुख नॉलेज गैप ढूंढना है। नॉलेज गैप ढूंढने का अर्थ है उस क्षेत्र में कौन-कौन सा काम हो चुका है किस क्षेत्र में काम होना अभी बाँकी है। अगर हम सही ढंग से साहित्य पुनरावलोकन किए बिना अपना शोध शुरू कर देते है तो हो सकता है हम जो काम आज करें कोई और उस काम को पहले ही कर चुका हो। इस पर उस काम की पुनरावृति हो जाएगी इसलिए शोध कार्य में शोध समस्या ढूंढने के लिए साहित्य पुनरावलोकन करना अत्यंत आवश्यक है।

2. विचार को परिभाषित करने के लिए (For Define Concept) :-
साहित्य पुनरावलोकन के द्वारा ही हम अपने कान्सैप्ट को सही तरीके से समझ सकते है और अपना एक नया कान्सैप्ट दे सकते है। साहित्य पुनरावलोकन के द्वारा हम यह जान सकते है हमने जो शोध समस्या चुना है उस समस्या पर कहीं कोई काम हुआ है या नहीं। अगर उस पर कोई काम हुआ है तो किस विधि से हुआ है। इस बात का अध्ययन कर हम यह चुन सकते है कि मुझे अपने शोध के लिए कौन सा विधि चुनना आसान होगा।
साहित्य पुरावलोकन के दौरान हम इस बात का अध्ययन करते है कि, हम जिस क्षेत्र में शोध करना चाह रहे है उस क्षेत्र में इससे पहले क्या-क्या शोध हो चुका है और हमारी शोध उस क्षेत्र में कैसे उपयोगी साबित होगा अर्थात हमारी शोध ज्ञान की खाई को कैसे भरेगा। साहित्य पुरावलोकन के मदद से हम अपनी शोध सीमा निर्धारित करते हैं।

जब हम अपने शोध के लिए साहित्य पुनरावलोकन कर रहे होते हैं तो हमारे पास जो सबसे बड़ा प्रश्न उठता है वह यह है कि, हम कितने समय पीछे तक के साहित्य का पुरावलोकन करेंगे। इसके लिए जो एक मानक पैमाना है वह यह है कि जब हम मास्टर के लिए साहित्य पुरावलोकन कर रहे होते हैं ।

Kapil Dev Prajapati

PhD in Journalism UGC-NET, M.Phil. in Mass Communication, MJC (Master in Journalism & and Communication), M.A.(Hindi Literature)

1 Comments

  1. शैक्षिक उपलब्धि के रिव्यू

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